Now God Says...

"...यहाँ भी अपने को देखो कि

मुझ आत्मा के ऊपर

कितने स्नेह के पुष्पों की वर्षा हो रही है।

 

वह छिप नहीं सकेंगे।

जितने स्नेह के पुष्प

उतने द्वापर में पूजा के पुष्प चढ़ेगे।

 

कहाँ-कहाँ कोई पुष्प चढ़ाने लिये

कभी-कभी जाते हैं और

कहाँ तो हर रोज

और बहुत पुष्पों की वर्षा होती है।

 

मालूम है? इसका कारण क्या?

 

तो यही लक्ष्य रखो कि

सर्व के स्नेह के पुष्प पात्र बने।

स्नेह कैसे मिलता है?

एक-एक को अपना सहयोग देंगे तो

सहयोग मिलेगा।

 

और जितने के यहाँ सहयोगी बनेंगे

उतने के स्नेह के पात्र बनेंगे।

और ऐसा ही फिर

विश्व के महाराजन् बनेंगे।

इसलिये लक्ष्य बड़ा रखो।..."

 

Ref:- Avyakt BaapDada - 25.12.1969